नाक के कैंसर के होते हैं ये शुरुआती लक्षण, आयुर्वेदिक इलाज द्वारा करें बीमारी को दूर

naak ke cancer ka ayurvedic ilaj

बदलते मौसम के साथ कई बीमारियां दस्तक दे देती हैं। खासतौर से अगर बात करें बारिश के मौसम की ही, तो इस मौसम में सबसे ज्यादा सर्दी-खांसी और बुखार की समस्या होती है। सर्दी-खांसी बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन, ऐलर्जी, साइनस इन्फेक्शन या ठंड के कारण होती हैं। लेकिन हमारे देश में ज्यादातर लोग इस परेशानी के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते बल्कि वह घर पर खुद ही इलाज कर लेते हैं। सर्दी-खांसी में हर व्यक्ति की नाक बंद हो जाती है। कुछ घरेलू इलाज करके आम तौर पर दो-चार दिन बाद नाक अपने आप खुल जाती है. लेकिन अगर आपको हमेशा ही नाक बंद रहने की समस्या रहती है तो ये आपके लिए खतरे की बात हो सकती है. मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, ये नाक के कैंसर का कैंसर होता है।

क्या नाक में भी कैंसर होता है?

कैंसर एक बेहद ही जटिल बीमारी है जो आसानी से व्यक्ति का साथ नहीं छोड़ती है। आज के समय में कैंसर कोई बीमारी नहीं रह गई है बल्कि ये महामारी का रूप ले चुकी है। हर साल करोड़ों लोग सिर्फ कैंसर जैसी घातक बीमारी के कारण अपनी जाएं गवां देते हैं। कैंसर शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। इन्हीं विभिन्न अंगों में नाक भी शामिल है। ज्यादातर लोग नाक के कैंसर से अनजान होते हैं। अंग्रेजी में इसे Nasopharyngeal Cancer (NPC) कहते हैं।

क्या आयुर्वेद उपचार द्वारा कैंसर हो सकता है ठीक?

कैंसर होने के लिए हमारी लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खान-पान जिम्मेदार होते हैं। कई बार जेनेटिक मामलों के कारण भी कैंसर हो जाता है। कैंसर का पता चलते ही मरीज तुरंत ही अस्पताल जाकर इलाज करवाना शुरू कर देते हैं। लेकिन आप शायद ही ये बात जानते होंगे कि आयुर्वेद द्वारा भी कैंसर को ठीक किया जा सकता है। बता दें आयुर्वेद हजारों साल पुरानी चिकित्सीय पद्धति है। इस पद्धति के जरिए बीमारियों को जड़ी बूटी और औषधियों की मदद से ठीक किया जाता है। आयुर्वेद में एक उपचार नस्य भी है, जिसमें नाक में होने वाली दिक्कतों का उपचार किया जाता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि, ‘नासा ही शिरसो द्वारं’ मतलब नाक ही मस्तिष्क में प्रवेश करने का द्वार है। तो चलिए इस आर्टिकल में आगे जानते हैं आयुर्वेद में नाक के कैंसर को ठीक करने के कौनसे नुस्खे बताए गए हैं।

कैंसर क्या और क्यों होता है?

हमारे शरीर में जो कोशिकाएं यानी सेल्स मौजूद होते हैं, उनमें ऐसे बदलाव आ जाते हैं, जो बाद में चलकर कैंसर का रूप ले लेते हैं। पहला बदलाव किसी भी कोशिका का अनियंत्रित होकर बढ़ना और दूसरा किसी ऑर्गन के सेल बहुत ज्यादा बढ़ते हुए अपनी जगह से दूसरी जगह तक फ़ैल जाना। इन दोनों स्थिति में कैंसर होता है।

नाक का कैंसर क्या होता है?

नाक सांस लेने का सबसे प्रमुख साधन है। लेकिन यदि यहीं पर कैंसर हो जाए तो ये बहुत तकलीफदेह हो सकता है। हमारी नाक में नासिका गुहा होती है। ये गुहा हमारे नाक से श्वास को फेफड़ों तक पहुंचाती है। यह मार्ग बलगम बनाने वाली कोशिकाओं से मिलकर बना होता है, जिससे नाक कभी नहीं सूखती है। पहले तो सब सामान्य होता है लेकिन जब नाक के अंदर बलगम बनाने वाली कोशिकाएं या फिर नाक गुहा में जब कैंसर कोशिकाएं असामान्य रूप से विकसित होने लगती हैं तो नाक का कैंसर होता है। ये कैंसर नाक के पीछे और गले के ऊपरी हिस्से में विकसित होता है। बता दें ये हिस्सा ही नाक और गले को जोड़ता है।

नाक के कैंसर के लक्षण क्या हैं?

  • नाक सूजना
  • एक कान के सुनने की क्षमता कम हो जाना
  • मुंह खोलने में दिक्कत होना
  • बलगम से भरी हुई नाक
  • कान में गांठ या दर्द होना
  • नाक से खून आना
  • टिटनस हो जाना
  • धुंधला या दो-दो तस्वीर दिखना
  • थकान महसूस होना
  • सिर में दर्द होना
  • दांतों में ढीलापन होना
  • चेहरे के निचले हिस्से का सुन्न हो जाना
  • गर्दन में गांठ होना
  • दांत दर्द होना
  • खाना निगलने में परेशानी होना
  • दांतों का सुन्न होना
  • आंखों में उभार
  • चेहरे और नाक में गठान होना
  • आवाज का कर्कश हो जाना
  • वज़न कम होना

नाक में कैंसर होने के क्या कारण हैं?

  • उम्र बढ़ने के साथ-साथ नाक का कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
  • केमिकल के संपर्क में आने की वजह से नाक का कैंसर हो सकता है।
  • महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को नाक का कैंसर होने की अधिक संभावना रहती है।
  • धूम्रपान करने वालों को नाक का कैंसर होने की संभावना होती हैै।
  • जो व्यक्ति वायु प्रदूषण के ज्यादा संपर्क में आता है, उसे भी ये बीमारी हो सकती है।
  • गले या सिर में रेडियोथेरेपी लेने वालों को यह परेशानी ज्यादा होती है।
  • कुछ जेनेटिक म्यूटेशन्स और वंशानुगत स्थितियों के कारण नाक के कैंसर का होने की संभावना बढ़ सकती है।

नाक में कैंसर का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?

आयुर्वेदिक इलाज पद्धति हजारों वर्षों से चली आ रही है। आयुर्वेद में हर बड़ी से बड़ी बीमारी का सफल इलाज बताया गया है। इसी तरह कैंसर जैसी घातक बीमारी का भी इलाज आयुर्वेद के पास मौजूद है। इन दिनों एलोपेथी इलाज के बढ़ने से लोग आयुर्वेदिक इलाज पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। लेकिन आप ये बात नहीं जानते होंगे कि आयुर्वेदिक इलाज द्वारा बीमारी को जड़ से खत्म किया जाता है। हम आपको घर में मौजूद उन आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बता रहे हैं, जो नाक के कैंसर यानी नासॉफिरिन्जियल कैंसर को ठीक करने में मदद करेंगी।

हल्दी

हल्दी को सबसे अच्छी औषधि माना जाता है। इसमें कैंसर रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी पाए जाते हैं। डॉक्टर्स का भी दावा है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कैंसर को रोकने में मदद करते हैं।

तुलसी

तुलसी चमत्कारी औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। ये कई बीमारियों को ठीक करने में कारगर साबित हो चुका है। तुलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर के फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं और सेल डैमेज होने से रोकते हैं. इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स हर तरह के कैंसर से बचाव करने में मददगार होते हैं।

अनार

अनार एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरा होता है। एक अध्ययन के मुताबिक, अनार में कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने और कैंसर से बचाव के गुण पाए जाते हैं. अनार में मौजूद पोषक तत्व इंफ्लेमेशन और कैंसर सेल्स से लड़ने में मदद करते हैं। इसके सेवन से शरीर में कैंसर सेल्स की ग्रोथ कम होने लगती है।

लहसुन

कैंसर को रोकने में लहसुन भी काफी मददगार साबित हो सकता है। इसकी तासीर गर्म होती है इसीलिए लहसुन का सेवन शरीर में गर्माहट पैदा करता है, जो कैंसर सेल्स से लड़ने में मदद करता है। लहसुन का अर्क सुपरऑक्साइड के स्राव को रोककर एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है।

गुलहड़ के फूल

गुड़हल के फूलों में एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, आयरन और कई प्रकार के मिनरल्स पाए जाते हैं। गुड़हल के फूल के रस में एंटीऑक्सिडेंट और हाइपोलिपिडेमिक प्रभावों के कारण कई औषधीय और एंटीकैंसर गुण पाए गए हैं।

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