दुनियाभर में इस वक्त अगर किसी बीमारी को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है तो वो है कैंसर। आज के समय में कैंसर कोई बीमारी नहीं रह गई है बल्कि ये महामारी का रूप ले चुकी है। कैंसर इतनी खतरनाक बीमारी है जिसका नाम सुनते ही व्यक्ति सहम जाता है। आज के समय में कैंसर के मामले में तेजी से इजाफा हो रहा है। हर साल करोड़ों लोग सिर्फ कैंसर जैसी घातक बीमारी के कारण अपनी जाएं गवां देते हैं। कैंसर होने के लिए हमारी लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खान-पान जिम्मेदार होते हैं। कई बार जेनेटिक मामलों के कारण भी कैंसर हो जाता है। कैंसर किसी एक तरह का नहीं बल्कि कई तरह का होता है। ऐसा ही एक कैंसर है मल्टिपल माइलोमा। यह एक प्रकार का ब्लड कैंसर होता है। कैंसर का पता चलते ही मरीज तुरंत ही इलाज करवाना शुरू कर देते हैं। लेकिन आप शायद ही ये बात जानते होंगे कि आयुर्वेद द्वारा भी कैंसर को ठीक किया जा सकता है। हम आपको आज मल्टिपल माइलोमा कैंसर के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बता रहे हैं।
कैंसर क्या और क्यों होता है?
हमारे शरीर में जो कोशिकाएं यानी सेल्स मौजूद होते हैं, उनमें ऐसे बदलाव आ जाते हैं, जो बाद में चलकर कैंसर का रूप ले लेते हैं। पहला बदलाव किसी भी कोशिका का अनियंत्रित होकर बढ़ना और दूसरा किसी ऑर्गन के सेल बहुत ज्यादा बढ़ते हुए अपनी जगह से दूसरी जगह तक फ़ैल जाना। इन दोनों स्थिति में कैंसर होता है।
कैंसर कितने प्रकार के होते हैं?
आपको जानकर हैरानी होगी कि इंसान के शरीर में एक या दो नहीं बल्कि करीब 250 प्रकार के कैंसर होते हैं। हर प्रकार एक दूसरे से अलग हॉट है और ऐसे में इनका इलाज भी अलग-अलग है।
आमतौर पर इनके सैंकड़ों प्रकार के कैंसर को तीन हिस्सों में बांटा गया है।
- स्किन की लाइनिंग से बनने वाले कैंसर को मेडिकल भाषा में कार्सिनोमा कहा जाता है।
- मसल्स या बोन के कैंसर को सारकोमा कहते हैं।
- ब्लड के कैंसर को लिम्फोमा, ल्यूकीमिया और मल्टीप्ल माइलोमा कहा जाता है।
मल्टीप्ल माइलोमा कैंसर क्या होता है?
मल्टीपल मायलोमा ब्लड कैंसर का ही एक प्रकार है। यह एक दुर्लभ बीमारी है। मल्टीप्ल माइलोमा कैंसर शरीर में प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करती है। यह खासतौर से सफेद रक्त कोशिका में बनता है। बता दें सफेद रक्त कोशिका हमारे शरीर को कीटाणुओं से बचाने में काम आती हैं। इसमें प्लाज़्मा की कोशिकाओं में कैंसर हो जाता है. ऐसे में वह कोशिकाएं हेल्दी एंटीबाडी बनाने की जगह कैंसर प्रोटीन का निर्माण करने लगती हैं। इसे एम प्रोटीन या मोनोक्लोनल प्रोटीन या एम बैंड भी कहते हैं. बता दें एम प्रोटीन शरीर के अलग-अलग अंग जैसे किडनी, हड्डी या बोन मैरो को प्रभावित करता है और उनमें मायलोमा के लक्षण पैदा कर देता है.
मल्टीप्ल माइलोमा कैंसर क्यों होता है?
मल्टीपल मायलोमा कैंसर होने की सटीक वजह तो अब तक पता नहीं चल पाई है, लेकिन ये माना जाता है कि यह एक असामान्य प्लाज्मा सेल के साथ शुरू होता है और बोन मैरो तक फ़ैल जाता है। साथ ही ये भी पता चला है कि मायलोमा कोशिकाओं की लाइफ नियमित नहीं होती है। ये कोशिकाएं बढ़ने के बजाय विभाजित होती हैं और फिर मर जाती हैं। इस वजह से हेल्दी सेल्स का निर्माण अच्छे से नहीं हो पाता है।
मल्टीप्ल माइलोमा कैंसर के क्या लक्षण हैं?
- हड्डी में दर्द
- कमजोरी
- थकान
- वजन कम होना
- भूख कम लगना
- बार-बार इन्फेक्शन होना
- पैथोलॉजिकल बोन फ्रैक्चर
- बाहों और पैरों में कमजोरी या सुन्नता
- एनीमिया की समस्या
- ज्यादा प्यास लगना
- बार-बार पेशाब आना
- शरीर में पानी की कमी होना
- गुर्दे की समस्याएं
- कब्ज की समस्या
- पेट में दर्द
- भूख में कमी
- कमजोरी महसूस करना
- भ्रम की स्थिति
- त्वचा में खुरदरापन महसूस होना
कैसे पता लगाए कि हमें मल्टीपल माइलोमा कैंसर है?
जैसे ही आपको ऊपर बताए गए लक्षण नजर आने लगे तो आप तुरंत सचेत हो जाएं और डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही मल्टीपल माइलोमा कैंसर का पता लगाने के लिए आप डॉक्टर की सलाह लेकर एक्स रे, यूरिन की जांच, पीईटी स्कैन, सीबीसी, सीटी स्कैन या एनआरआई करवा सकते हैं। यदि आप मल्टीपल माइलोमा कैंसर की सटीक पुष्टि करना चाहते हैं तो इसके लिए बायोप्सी सबसे अच्छा ऑप्शन है।
मल्टीप्ल माइलोमा कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
आयुर्वेदिक इलाज पद्धति हजारों वर्षों से चली आ रही है। आयुर्वेद में हर बड़ी से बड़ी बीमारी का सफल इलाज बताया गया है। इसी तरह कैंसर जैसी घातक बीमारी का भी इलाज आयुर्वेद के पास मौजूद है। इन दिनों एलोपेथी इलाज के बढ़ने से लोग आयुर्वेदिक इलाज पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। लेकिन आप ये बात नहीं जानते होंगे कि आयुर्वेदिक इलाज द्वारा बीमारी को जड़ से खत्म किया जाता है। हम आपको घर में मौजूद उन आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बता रहे हैं, जो मल्टीप्ल माइलोमा कैंसर को ठीक करने में मदद करेंगी।
हल्दी और तुलसी
हल्दी में कई चमत्कारी गुण होते हैं। आप शायद ही ये बात जानते होंगे कि इसमें कैंसर रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी पाए जाते हैं। डॉक्टर्स का भी दावा है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कैंसर को रोकने में मदद करते हैं। हल्दी अन्य पारंपरिक दवाओं की तुलना में दर्द से राहत दिलाने में ज्यादा असरदार मानी जाती है।
अदरक
अदरक को औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। इसमें कैंसर रोधी गुण होते हैं। कैंसर में होने वाली सूजन और दर्द से राहत दिलाने में अदरक का अर्क सबसे असरदार माना जाता है। साथ ही अदरक मतली और बेचैनी को भी कम कर देती है। आप इसमें सब्जी में डालकर या फिर कच्चा खा सकते हैं।
अश्वगंधा
अश्वगंधा सबसे बेहतर आयुर्वेदिक जड़ीबूटी मानी जाती है। इसमें सूजन को तुरंत कम करने की शक्ति होती है। साथ ही अश्वगंधा का सेवन करने से कई बड़ी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। कैंसर रोगियों को अश्वगंधा का सेवन करना चाहिए। ये कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करती है।
आंवला
आंवला में भी कई ऐसे औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो कैंसर को रोकने में मदद करते हैं। साथ ही ये कैंसर कोशिकाओं से लड़ते हैं। कैंसर के मरीजों के लिए नियमित आंवले का सेवन करने काफी फायदेमंद माना जाता है। साथ ही इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
अंगूर के बीज
काले अंगूर के बीज में कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट ऐसे फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में मदद करते हैं, जो मुंह में मौजूद सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं।
अस्वीकरण
इस लेख में दी गई सलाह, जानकारी और सुझाव सिर्फ एक सूचना देने के उद्देश्य से दी गई है। इसे आप पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ले सकते हैं। ना ही हमारी वेबसाइट इस लेख में दी गई सूचना को लेकर किसी तरह का दावा करती है। इस बीमारी से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।