क्या मुँह के कैंसर को आयुर्वेदिक उपचार से ठीक किया जा सकता हैं?

मुंह का कैंसर

मुंह का कैंसर मुंह या गले के ऊतकों में होता है। ये सिर और गर्दन का कैंसर है जो कि कैंसर का एक बड़ा समूह है। इसमें होंठ, गाल, जीभ, मुंह का नीचे का हिस्सा, कठोर और नरम तालू, साइनस, और गले के कैंसर शामिल हैं। यदि इनका सही समय पर उपचार न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकते हैं।

Muh Ka Cancer होना अब बहुत ही सामान्य है और अगर इसका पता जल्दी चल जाए तो आसानी से इलाज भी संभव है। अगर आप नियमित रूप से डेंटिस्ट के पास जाते हैं, तो आमतौर पर वह मुंह के कैंसर का शुरुआती चरणों में पता लगा लेते हैं।

पुरुषों को Muh Ka Cancer होने का जोखिम महिलाओं की तुलना में दोगुना होता है। इसमें भी 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को सबसे ज़्यादा जोखिम होता है। धूम्रपान और तम्बाकू का उपयोग मुंह के कैंसर का मुख्य कारण है।

भारत में मौखिक कैंसर की स्थिति

भारत में हर एक लाख में से 20 लोग मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं जो कि सभी प्रकार के कैंसर का 30% हिस्सा है। मुंह के कैंसर के कारण भारत में हर दिन मौतें भी होती है।

मुंह का कैंसर कितने प्रकार का होता है?

मुंह के कैंसर में निम्नलिखित कैंसर शामिल के प्रकार शामिल होते हैं

  • होंठों का कैंसर
  • जीभ का कैंसर
  • गाल का कैंसर
  • मसूड़ों का कैंसर
  • मुंह के तल (जीभ के नीचे) का कैंसर
  • सख्त और नरम तालु के कैंसर

मुंह के कैंसर का पता खुद कैसे लगाए?

आप स्वयं शीशे के सामने खड़े होकर अपने मुंह के अंदर देख सकते हैं। अगर आपको कोई भी घाव, छाला, गांठ या कोई भी असामान्य बदलाव दिखता है जो कुछ हफ्तों से या इलाज करवाने के बाद भी ठीक न हो रहा हो तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर जांच करके पहचान सकते हैं कि यह मुंह के कैंसर की शुरुआत है या फिर नहीं।

मुंह के कैंसर के लक्षण क्या है?

  • ठीक नहीं होने वाला छाला – मुंह का ऐसा छाला जो ठीक न हो रहा हो, मुंह के कैंसर का लक्षण हो सकता है
  • मुंह में पैच – मुंह में मखमली सफेद, लाल या धब्बेदार पैच हो जाना
  • घाव ठीक न हो रहा हो – चेहरे, गर्दन या मुंह पर घाव हो जाना और 2 सप्ताह के भीतर उनका ठीक न होना कैंसर की पहचान हो सकती है।
  • मुंह में दर्द – मुंह में दर्द या परेशानी जो ठीक नहीं होती हो
  • वजन घटना – अकारण बहुत अधिक वजन घटना कैंसर का संकेत हो सकता है
  • मुंह में सामान्य बदलाव – होंठ, मसूड़ों या मुंह के अन्य क्षेत्रों में सूजन, गांठ, धब्बे हो जाना
  • पपड़ी या कटाव विकसित होना, खून बहना – मुंह से बिना किसी वजह से खून बहना
  • दर्द या सुन्नता – चेहरे, मुंह, गर्दन या कान के किसी हिस्से में बिना किसी वजह के स्तब्धता होना, कुछ महसूस न होना या दर्द / कोमलता होना
  • फ़साव ऐसा लगना कि कुछ गले के पिछले हिस्से में कुछ फसा है
  • चबाने या निगलने, बोलने या जबड़े या जीभ को हिलाने में कठिनाई महसूस होना
  • घबराहट और आवाज में परिवर्तन होना
  • कृत्रिम दांतों का ठीक से फिट न होना
  • गर्दन में गांठ का होना आदि

मुंह का कैंसर कैसे होता है?

Muh Ka Cancer तब होता है जब मुंह की कोशिकाओं के DNA में परिवर्तन (म्यूटेशन) होता है। म्यूटेशन की वजह से असामान्य कोशिकाएं बढ़ती हैं और विभाजित होती रहती हैं। असामान्य कोशिकाओं के जमा होने से एक ट्यूमर बन जाता है। यह Muh Ka Cancer होता है।

मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारण

  • सिगरेट, सिगार, गुटखा और किसी भी प्रकार का तंबाकू का सेवन
  • अत्यधिक शराब पीना
  • एक यौन संचारित वायरस जिसे ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी)
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली आदि।

मुंह के कैंसर से बचाव के उपाय क्या है?

  • सिगरेट, बीड़ी या किसी भी तम्बाकू उत्पाद का सेवन न करें और न ही शराब पिएं।
  • अच्छा और संतुलित आहार ग्रहण करें।
  • अत्यधिक धूप में जाने से बचे।
  • संतुलित जीवन शैली अपनाएं।

मुंह के कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

मुंह के कैंसर का इलाज आमतौर पर उसी तरह किया जाता है जैसे अन्य कैंसर का इलाज किया जाता है यानी सर्जरी के माध्यम से, जिसके बाद थैरेपी होती है। रेडियो थैरेपी के दौरान रोगियों को कई दुष्प्रभावों से जूझना पड़ता है। ऐसे में मुंह के कैंसर के लिए मरीज आयुर्वेदिक इलाज का भी सहारा लेते हैं जो की इलाज में बहुत कारगर है। हम आपको कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में बताएँगे जो कैंसर रोग के इलाज में मरीज को मदद कर सकती है।

  • नीम – नीम के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। नीम के कैंसर विरोधी गुणों का हाल के दिनों में गहन अध्ययन किया गया है जिसके अनुसार नीम में ट्यूमर को ठीक करने की क्षमता है। यह मोनोसाइट्स की साइटोटोक्सिक क्षमता को बढ़ाता है और ट्यूमर कोशिकाओं के प्रसार को कम करता है।
  • हल्दी – हल्दी अपने एंटी-कार्सिनोजेनिक और चिकित्सीय गतिविधि जैसे समान गुणों के लिए प्रसिद्ध है। यह एन्टीट्यूमर गतिविधियों के लिए खास जाना जाता है। यह भी ट्यूमर कोशिकाओं को नियंत्रित करने में मददगार है।
  • अंगूर के बीज– कहा जाता है कि अंगूर के बीज रेडिकल कोशिकाओं को नष्ट करने में बेहद सहायक रहे हैं। ये कोशिकाएं मुंह में मौजूद सक्रिय कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप Muh Ka Cancer होता है। अंगूर में भरपूर विटामिन सी, ई और बीटा-कैरोटीन होते हैं जो इम्युनिटी सिस्टम की ताकत को बढ़ाने में मदद करते हैं।
  • ग्रीन टी – लम्बे समय से विश्वभर में ग्रीन टी का सेवन किया जाता रहा है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ग्रीन टी कैंसर के इलाज में सहायक है। ग्रीन टी का नियमित सेवन मुंह के कैंसर की रोकथाम में फायदेमंद और मददगार साबित हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *